फणीश्वरनाथ रेणु
Posted नवम्बर 29, 2007
on:फणीश्वर नाथ रेणु (1921-1977) |
जीवनी |
फणीश्वर नाथ जी का जन्म बिहार के अररिया जिले के फॉरबिसगंज के निकट औराही हिंगना ग्राम में हुआ था । प्रारंभिक शिक्षा फॉरबिसगंज तथा अररिया में पूरी करने के बाद इन्होने मैट्रिक नेपाल के विराटनगर के विराटनगर आदर्श विद्यालय से कोईराला परिवार में रहकर की । इन्होने इन्टरमीडिएट काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से 1942 में की जिसके बाद वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पङे । बाद में 1950 में उन्होने नेपाली क्रांतिकारी आन्दोलन में भी हिस्सा लिया जिसके परिणामस्वरुप नेपाल में जनतंत्र की स्थापना हुई । उन्होने हिन्दी में आंचलिक कथा की नींव रखी । सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय, एक समकालीन कवि, उनके परम मित्र थे । इनकी कई रचनाओं में कटिहार के रेलवे स्टेशन का उल्लेख मिलता है । |
लेखन-शैली |
इनकी लेखन-शैली वर्णणात्मक थी जिसमें पात्र के प्रत्येक मनोवैज्ञानिक सोच का विवरण लुभावने तरीके से किया होता था । पात्रों का चरित्र-निर्माण काफी तेजी से होता था क्योंकि पात्र एक सामान्य-सरल मानव मन (प्रायः) के अतिरिक्त और कुछ नहीं होता था । इनकी लगभग हर कहानी में पात्रों की सोच घटनाओं से प्रधान होती थी । एक आदिम रात्रि की महक इसका एक सुंदर उदाहरण है । |
इनकी लेखन-शैली प्रेमचंद से काफी मिलती थी और इन्हें आजादी के बाद का प्रेमचंद की संज्ञा भी दी जाती है । |
अपनी कृतियों में उन्होने आंचलिक पदों का बहुत प्रयोग किया है । अगर आप उनके क्षेत्र से हैं (कोशी), तो ऐसे शब्द, जो आप निहायत ही ठेठ या देहाती समझते हैं, भी देखने को मिल सकते हैं आपको इनकी रचनाओं में । |
साहित्यिक कृतियां |
उपन्यास |
मैला आंचल |
परती परिकथा |
जूलूस |
दीर्घतपा |
कितने चौराहे |
पलटू बाबू रोड |
कथा-संग्रह |
एक आदिम रात्रि की महक |
ठुमरी |
अग्निखोर |
अच्छे आदमी |
रिपोर्ताज |
ऋणजल-धनजल |
नेपाली क्रांतिकथा |
वनतुलसी की गंध |
श्रुत अश्रुत पूर्वे |
प्रसिद्ध कहानियां |
मारे गये गुलफाम (तीसरी कसम) |
एक आदिम रात्रि की महक |
लाल पान की बेगम |
पंचलाइट |
तबे एकला चलो रे |
ठेस |
संवदिया |
सम्मान |
अपने प्रथम उपन्यास मैला आंचल के लिये उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया । |
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